भारत में, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (5-2019) के अनुसार 21 साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण (स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वजन) 38.4% से घटकर 35.5%, 21.0% से 19.3% और 35.8% हो गया है। एनएफएचएस-32.1 (4-2015) की तुलना में क्रमशः 16%। 15-49 वर्ष की महिलाओं में कुपोषण भी 22.9% से घटकर 18.7% हो गया है। अंतरराज्यीय और अंतरजिला भिन्नताएं हैं। अभी भी काफी लम्बा रास्ता पड़ा है।
कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने पहल की है पोषण पखवाड़ा (पोषण पखवाड़ा) लोगों को स्वास्थ्यवर्धक खान-पान की आदतों और जीवनशैली को अपनाने के लिए जागरूक करना है। यह अभियान 9-23 वर्ष की आयु के बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करते हुए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों (AWCs) पर 2024-0 मार्च, 6 तक चलेगा।
अभियान पर रहेगा फोकस पोषण भी पढाई भी (पोषण और शिक्षा दोनों) बेहतर प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) पर ध्यान केंद्रित करना; स्थानीय, पारंपरिक, क्षेत्रीय और जनजातीय आहार पद्धतियाँ; गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य; और शिशु एवं छोटे बच्चे का आहार (आईवाईसीएफ) अभ्यास।
अन्य गतिविधियाँ जैसे आंगनवाड़ी केंद्रों में जल संरक्षण, बाजरा के उपयोग के माध्यम से स्थायी खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना, आयुष प्रथाओं के माध्यम से स्वास्थ्य जीवन शैली अपनाना, दस्त प्रबंधन, एनीमिया-परीक्षण, उपचार और बातचीत पर जागरूकता। स्वस्थ बालक सपरधा (स्वास्थ्य बाल प्रतियोगिता) बच्चों की वृद्धि निगरानी को बढ़ावा देने के लिए।
2018 में पोषण मिशन के शुभारंभ के बाद से 5 पोषण पखवाड़ा और 6 पोषण माह (पोषण माह) पूरे देश में 1.396 मिलियन आंगनवाड़ी केंद्रों में आयोजित किया गया है।
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